मुख्य वस्तु इस प्रकार का साक्षात संबंध, मनुष्य का ईश्वर से संपर्क, सचेतक आदान-प्रदान न कि पार्थिव वस्तु की प्राप्ति।
2.
कभी-कभी इस समूह को काॅइन (सिक्के) का सूट भी कहते हैं यानी भौतिक विश्व की हर पार्थिव वस्तु एवं सेवाओं के स्पष्ट प्रतीक मानते हैं।
3.
स्त्री दिव्यांशों का समुच्चय दुर्गा सप्तशती का एक ऐतिहासिक फंक्शन यह रहा कि उसने स्त्री को पाँवों की जूती, मलिन और इस धरती की कोई पार्थिव वस्तु समझने की जगह उसे दिव्यांशों का समुच्चय बताया।
4.
उन्होंने मुनिओ को उपदेश इस प्रकार दिया:-जन्हा तक सूर्य और चन्द्रमा की किरणे प्रकाश फैलाती है उतने भागो को पृथ्वी कहते है / पृथ्वी विस्तृत होने के साथ ही गोलाकार है / जन्हा तक पैरो से जाने योग्य पार्थिव वस्तु है / उसे भूलोक कहा गया है.